RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -10-Apr-2023

श्याम चलें हैं

श्याम चलें हैं मनावें आज अपनी सखी को 
छोड़ मुकुट का पंख, भूल अपनी पादूका
आज चलें है श्याम अपनी सखी को मनावें 
भटक भटक जब वह नाम पुकारे काहें वह
अपने पैरों में लगे ज़ख्मों को भूल जाएं 
श्याम चलें है मनावें आज अपनी सखी को 
काहें रूढ़ी हो श्याम संग आज पुछा जाएं
हर गोपी की बोली में राधा के नैनों से
बिखरे आंसू श्याम की बंसी को पुकारें 
श्याम चलें हैं मनावें आज अपनी सखी को छोड़ 
लोक लाज की बेड़ी बस राधा का नाम पुकारे
आज चलें है श्याम अपनी सखी को मनावें
छोड़ राधा का दामन जब छोड़ श्याम का 
हाथ थामे राधा की चुनरी राधा का हाल बतलाएं
श्याम चलें हैं मनावें आज अपनी सखी को। 
राखी सरोज 


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5 Comments

Milind salve

11-Apr-2023 07:48 AM

शानदार

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Varsha_Upadhyay

10-Apr-2023 11:26 PM

बहुत खूब

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Gunjan Kamal

10-Apr-2023 09:16 PM

बहुत खूब

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